मइयां तेरा मंदिर इतना ऊंचा उठा जाये,
मेरे घर की छत से तेरा सिखर बंद साफ़ दिख जाये,
ऐसा मंदिर नहीं दूसरा दावा यही हमारा है ,
इसके आगे सब झुकते बस इक दरबार तुम्हारा है,
सही कहा भगतो ने सबको बेरा पट जाए,
मेरे घर की छत से तेरा सिखर बंद साफ़ दिख जाये,
सुबह सुबह मैं छत पे जाके झंडे को परनाम करू,
फूल तोड़ कर गमले से माँ फिर तेरा सामान करू,
ध्यान दरू तेरी चौकठ का गरदन झुक जाये,
मेरे घर की छत से तेरा सिखर बंद साफ़ दिख जाये,
मंदिर तेरी शान है मइयां और भगतो की नक् है,
मंदिर के चलते इज्जत है वर्ण इज्जत खाख है,
मंदिर पे कुरबान ज़िंदगी इस पर मिट जाये,
मेरे घर की छत से तेरा सिखर बंद साफ़ दिख जाये,
इस मंदिर के खातिर मइयां पाई पाई तेरी है,
मंदिर ऐसा बढ़ जाये बस यही कमाई मेरी है,
वनवारी तेरे बेटे नहीं जो पीछे हट जाये,
मेरे घर की छत से तेरा सिखर बंद साफ़ दिख जाये,