ताली बाजे

यहाँ कोई नहीं सुनता है,
तुझे तेरे नाम की वजह से....-2
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वजह से,
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वजह से।
भीड़ लगे है भारी,
खाटू धाम की वजह से,
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वज़ह से.......


बहुत हुई है बन्दे, तेरी मनमानियां,
झूठे हैं किस्से तेरे, झूठी है कहानियाँ,
रुकते प्रेमी श्याम के,
इंतजाम की वज़ह से,
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वज़ह से.......


मदरही इनायत ऐसी, करता है साँवरा,
आज मनजानी देखो, कल तक था बाँवरा,
सेवा में आनाकानी करता,
दाम की वजह से,
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वज़ह से......


श्याम धणी का प्यारे, सच्चा दरबार है,
शरण में जो आए सागर, भव सिंधु पार है,
कोई कदर नहीं जानूं,
तेरे काम की वज़ह से,
तेरे हर झूठ पे ताली बाजे,
बाबा श्याम की वज़ह से.........

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