आज ग्यारस की रात और तेरे दरबार ,
आजो श्याम कब से खडा हु दरबार ,
आज ग्यारस ...
मैं तेरे हु तेरे तू मेरे है श्याम ,
तेरे खाटू छोड़ के जाऊ कहा॥
खाटू आता हु श्याम,प्यार पाता हु श्याम ,
अजो श्याम ...
हर साल आता हु मेरे खाटू धाम ,
इस बार भी आया मेरे खाटू धाम॥
खाटू आया हु श्याम ,अब ना जाहुगा श्याम ,
अजो श्याम...
तेरे दर पर आता है सारा जहा,
मैं कटारिया भी आया तेरे दरबार ,
खाटू आना की गुन,मेरे सिर पर चड़ी,
अजो श्याम ...
लेखक- सुरेश कटारिया
मो. 9782409942