तेरे हाथों का खिलौना हूँ

तेरे हाथों का खिलौना हूँ मैं साँवरा,
जैसे मर्ज़ी तू मुझको नचाएं जा,
मैं पतंग तेरे हाथ मेरी डोर है,
चाहे काट दे या अम्बर उड़ाए जा,
तेरे हाथों का खिलौना हूँ मैं साँवरा.....

तेरे लिए दिल ये तड़पता है दाता मेरे,
तेरे बिना दिल बेसहारा ये,
तेरे ही तो बाग़ का मैं फूल हूँ ओ दाता मेरे,
रहने दे चरणों को थाम के,
तेरी प्यारी सी सूरत दिखलाये जा,
तेरी रहमतों को यूँ ही छलकाए जा,
मैं पतंग तेरे हाथ मेरी डोर है,
चाहे काट दे या अम्बर उड़ाए जा,
तेरे हाथों का खिलौना हूँ मैं साँवरा......

कुछ भी नहीं है मेरा तेरा ही कर्म है,
ये दुनिया जो देती मुझे मान है,
मैं हूँ सेवादार दाता दर का भिखारी तेरे,
यही मेरी बाबा पहचान है,
मेरे डालता गुनाहों पे तू पर्दा,
मेरे ऐब मेरे सांवरा छुपाये जा,
मैं पतंग तेरे हाथ मेरी डोर है,
चाहे काट दे या अम्बर उड़ाए जा,
तेरे हाथों का खिलौना हूँ मैं साँवरा.....

ज़िन्दगी की राह पे जो ठोकरें मिले तो मुझे,
आके लेना सांवरे संभाल तू,
बुरा भला जैसा भी हूँ लाल तो मैं तेरा ही हूँ,
रख लेना मेरा भी ख़याल तू,
ये ही आस मेरे बाबा तेरे दास की,
तेरी राहों पे मुझको चलाये जा,
मैं पतंग तेरे हाथ मेरी डोर है,
चाहे काट दे या अम्बर उड़ाए जा,
तेरे हाथों का खिलौना हूँ मैं साँवरा,
जैसे मर्ज़ी तू मुझको नचाएं जा,
मैं पतंग तेरे हाथ मेरी डोर है,
चाहे काट दे या अम्बर उड़ाए जा......
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