कन्हैया सबको मन भरमावे

कन्हैया सबको मन भरमावे,
नन्द भवन में प्रकटो लाला,
आनंद घन बरसावे,
यशोदा ललना को पलना झुलावे,
कन्हैया सबको मन भरमावे,
हलरावै, दुलरावै मैया,
मधुर मधुर कछु गावे,
कन्हैया सबको मन भरमावे,
नन्द जू के हरष हिये ना समावे।

नन्द के आनद भयो,
जय कन्हैया लाल की,
गऊन के दान दिए,
जय हो गोपाल की।

नामकरण भयो हरी को,
अब हर कोई कृष्ण बुलावे,
एक बरस को हो गया ललना,
अब पलना ना सुहावे,
घोटन चलत दूर तन सोहे,
जो देखे बलजावे,
यशोदा ललना को चलना सिखावे,
मईया ललना को चलना सिखावे।
ठुमक चलत बाजत पैजनियां,
रुनझुन शब्द सुनावै,
कन्हैया सबको मन भरमावे,
नन्द जू के हरष हिये ना समावे।

नंदरानी तेरो उत्पाती लला,
कल रात मेरे घर आये गयो,
ग्वाल को दल बल संग लिए,
भीषण उत्पात मचाय गयो,
छींके से उतार नहीं मटकी,
मटकी ते माखन खाये गयो,
न्योते बिन आ गयो घर में,
ग्वालन को संग जिमाय गयो।

मैं नहीं माखन खायो कहकर,
मैं नहीं माखन खायो कहकर,
झूठी शपथ उठावे,
राधिका बर्बस मुख लपटावे,
शृद्धाम माखन से मूंछ बनावे,
लाल की झूठ मान के सांची,
माँ उर कंठ लगावे,
कन्हैया सबको मन भरमावे,
नन्द जू के हरष हिये ना समावे।

गोपालन को चारण करके,
कृष्ण परम सुख पावे,
रे मोहन मुरली मधुर बजावै,
नन्द जू के हरष हिये ना समावे,
गोविंदा, गोपाला,
गोधन प्रिय हरे हरे,
मनमोहन, माखनप्रिय हरे हरे।
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