झुंझुनू से दादी आसी,
मंदिर यो ख़ुद बणवासी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी,
माँ खेमी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी।
दादी आसी कलकत्ता,
भाग्य सरावां,
हो, भाग्य सरावां,
ख़ुशख़बरी ध्यान से सुनियो,
सब ने सुनावा,
हो, सब ने सुनावा,
गावां जी मंगल गावां,
दादी का शुक्र मनावा,
कृपा करी है म्हापे, मावड़ी,
माँ खेमी,
कृपा करी है म्हापे, मावड़ी,
झुंझुनू से दादी आसी,
मंदिर यो ख़ुद बणवासी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी,
माँ खेमी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी।
कुण सो यो पुण्य कियो हो,
दादी पधारीगी,
चांदी सिंघासन ऊपर,
दादी बिराजेगी,
झुंझुनू जैसो ही मंदिर,
वैसे ही संगमरमर,
वैसो ही मंदिर म्हे बणवांगा,
झुंझुनू से दादी आसी,
मंदिर यो ख़ुद बणवासी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी,
माँ खेमी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी।
सेवा समिति ऊपर,
कृपा करी है दादी,
कृपा करी है,
मन चाहयो वर माँ देकर,
झोली भरी है म्हारी,
श्याम भी दर पे आसी,
भगतां ने सागे ल्यासी,
चँवर ढुलासी थारा, चाव स्यूं,
ओ दादी,
भजन सुणासी थाने चाव सूं,
झुंझुणु से दादी आसी,
मंदिर यो ख़ुद बणवासी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी,
माँ खेमी,
सुपणो पूरो कर देसी मावड़ी॥