कौन ठगवा नगरीय लूटल हो

कौन ठगवा नगरिया लूटल हो
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो ||

चन्दन काठ के बनल खटोला,
ता पर दुलहिन सूतल हो,
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो |

उठो सखी री मांग संवारो,
दूल्हा मोसे रूठल हो,
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो |

आये जमराजा पलंग चढ़ी बैठा,
नैनन अंसुआ छूटल हो,
कौन ठगवा नगरीय लूटल हो |

चार जने मिल खाट उठायी,
चहुँ दिस भम भम उठल हो,
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो |

कहत कबीर सुनो भाई साधो,
जग से नाता छूटल हो,
कौन ठगवा नगरिया लूटल हो |

रचयिता - कबीर दास
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