कलयुग का रंग सांवरे

कलयुग का है रंग चढ़ा,
हर तरफ मची है जंग,
असर देख इस कलयुग का,
मेरा श्याम भी रह गया दंग।

मोरछड़ी और नीले में,
जंग छिड़ी है भारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।।

साँवरिया अपने हाथों से,
खुद मुझको लहराते हैं,
मेरा झाड़ा लगवाने को,
बड़े बड़े झुक जाते हैं,
मेरे आगे नीले बोलो,
क्या औकात तुम्हारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।।

नीला बोला मोरछड़ी से,
नहीं ज्यादा इतराते हैं,
मुझपे ही तो बैठ साँवरा,
भक्तों के घर जाते हैं,
श्याम धणी को सबसे प्यारी,
नीले की असवारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।।

श्याम धणी के मोर मुकुट में,
मेरा हरदम वास है,
शिखर ध्वजा में भी मैं ऊपर,
तू चरणों का दास है,
साँवरिया को लगती हूँ मैं,
सबसे ज्यादा प्यारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।

नीला बोला माना के मैं,
श्याम चरण का दास हूँ,
श्याम प्रभु का सेवक हूँ बस,
इसीलिए तो ख़ास हूँ,
तुमसे पहले श्याम प्रेमियों में पहचान हमारी,
है हम दोनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।।

इन दोनों से पहले सुन लो,
नाम मेरा ही आता है,
खाटू आने वाला पहले,
श्याम कुंड में नहाता है,
तुम दोनों से मैं हूँ बड़ा,
ये दुनियां सारी,
है हम तीनों में कौन बड़ा,
तुम बोलो ये गिरधारी।।

बोले सांवरा मेरे लिए,
तुम तीनों एक समान हो,
अपनी अपनी जगह बड़े तुम,
तीनों बड़े महान हो,
मैं तुमसे और तुम मुझसे,
यूँ बोले श्याम बिहारी,
कहे भीमसैन तुमपे साँवरा,
जाऊँ मैं बलिहारी......
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