ठुमक ठुमक चली आये रही हो जगदम्बा हमारी

ठुमक ठुमक चली आये रही हो,
जगदम्बा हमारी।।
लाल चुनरिया फहराए रही हो,
जगदम्बा हमारी।।

नाके नथुनिया माँ को भावे,
होंठो पे लाली भी सुहाबे।
माथे पे बिन्दिया चमकाए रही हो,
जगदम्बा हमारी।।
ठुमक ठुमक चली आये रही हो,
जगदम्बा हमारी।

मस्तक मुकुट सुहाबे माँ को,
फूलन गजरे भावे माँ को।
कानो में कुंडल लटकाए रही हो,
जगदम्बा हमारी।।
ठुमक ठुमक चली आये रही हो,
जगदम्बा हमारी।

कंठ में मुतियन माला सोहे,
देख के मेरा मनुवा मोहे,
हाथो में कंगना खनकाये रही हो,
जगदम्बा हमारी।।
ठुमक ठुमक चली आये रही हो
जगदम्बा हमारी।

पांव में पायल छम छम बाजे,
लच्छा बिछियां टोडर साजे।
और महावर सजाये रही रे,
जगदम्बा हमारी।।
ठुमक ठुमक चली आये रही हो
जगदम्बा हमारी।।

मां की महिमा जग में न्यारी ,
जप जप नाम रे जगत सुखारी।
राजेन्द्र पे कृपा वर्षाए रही रे,
जगदम्बा हमारी।।
ठुमक ठुमक चली आये रही हो,
जगदम्बा हमारी.....

गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी
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