( श्री नर्मदाय नमो प्रातः
नर्मदाय नमो निषे
नमस्ते नर्मदे देवी
त्राहिमाम भव सागरः )
मां पतित पावनी है, मां जगत तारणी हैं,
माँ ही रेवा, माँ ही गंगा, तमस हारिणी है....
अमरकंटक से धारा, निकली हैं रेवा
शिवशंकर की प्यारी, पुतरी हैं रेवा
पूरब से पश्चिम बहती, कुवांरी हैं रेवा
ये ही सबकी मां नर्मदा,
अमृत वाहीणी हैं……
चर और अचर का पालन, करती हैं सर्वदा
नर नारी के मद को, हरति हैं नर्मदा
दर्शन से सबके पाप, धोती हैं नर्मदा
ये ही सबकी माँ रंजना, मंदाकिनी हैं…..