बिन हरी नाम गुजारा नहीं

बिन हरी नाम गुजारा नहीं,
रे बावरे मन किनारा नहीं॥

नांव पुरानी चंचल धारा,
मौसम तूफानों का,
खेते खेते हिम्मत हारी,
डगमग डोले नौका,
प्रीतम को जो पुकारा नहीं,
रे बावरे मन किनारा नहीं।

फँसता क्यों जाता माया में तू,
ये है नागिन काली,
डस जायेगी बचकर रहना,
चौतरफा मुँह वाली,
फिर ये जनम दुबारा नहीं,
रे बावरे मन किनारा नहीं।

इब तो तूँ बस इस नैया को,
करदे श्याम हवाले,
बस की बात नहीं बन्दे की,
ये दातार संभाले,
झूठा अहम गंवारा नहीं,
रे बावरे मन किनारा नहीं।

ये मौका भी चूक गया तो,
क्या है आनी जानी,
श्याम बहादुर शिव जाग नींद से,
जीवन ओस का पानी,
भूल के सोना दुबारा नहीं,
रे बावरे मन किनारा नहीं......
download bhajan lyrics (305 downloads)