नैनं की मोहे मार क़टारि,
जाने कहाँ गयो अवध बिहारी ॥
क्रीट मुकुट पीताम्बर सोहे,
माथे पे सोहे बांके लत घुँघराले,
नैनं की मोहे मार क़टारि ॥
अधर रसीले नयन कटीले
नैना चलाये गयाो रसिक बिहारी
नैनं की मोहे मार क़टारि ॥
मोह दुखिया पे तरस ना आवे,
जादु सो डार गयाो धनुधारी,
नैनं की मोहे मार क़टारि,
जाने कहाँ गयाो अवध बिहारी........