जब जब मन मेरा घबराये

जब जब मन मेरा घबराये,
और तकलीफ सताती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है मईया,
सिर पे हाथ फिराती है।।

लोग ये समझे मैं हूँ अकेली,
लेकिन साथ में मईया है,
लोग ये समझे डूब रही,
पर चल रही मेरी नईया है,
जब जब तूफान आते है,
ये खुद पतवार चलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है मईया,
सिर पे हाथ फिराती है।।

जिसके आंसू कोई ना पोछे,
जिसको ना कोई प्यार करे,
जिसके साथ ये दुनिया वाले,  
मतलब का वय्वहार करे,
दुनिया जिसे ठुकराती उसको,
मईया गले लगाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है मईया,
सिर पे हाथ फिराती है।।

प्रीत की डोर बंधी मईया से,
जैसे दीपक बाती है,
कदम कदम पर रक्षा करती,
ये सुख दुःख की साथी है,
कोई जब रस्ता ना सूझे,
प्रेम का दीप जलाती है,
मेरे सिरहाने खड़ी है मईया,
सिर पे हाथ फिराती है।।
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