मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली

मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली.....-2

गोरे गोरे माथे पे लाल लाल बिंदिया,
मांग सिंदूर भरी अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली॥

मैया जी के गले में फूलों की माला,
बीच में चंपा कली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली॥

गोरे गोरे हाथों में लाल लाल चूड़ियां,
हथेली में मेहंदी रची अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली॥

गोरे गोरे पांव में पायल सोहे,
मां ठुमक ठुमक निकली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली॥

मंदिर का पुजारी यूं बोला मां से,
बन ठन कहां को चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली॥

मेरे भक्तों के संकट भारी,
मैं संकट हरने चली अकेली भवन चली,
मां भक्तों ने घेर लई अकेली भवन चली.......
download bhajan lyrics (338 downloads)