मुझे माँ ने बुलाया है,
मस्त हवा का एक झोंका यह संदेसा लाया है ।
जगजननी माँ शेरों वाली, मेहरो वाली माँ मेरी ।
द्वार दया का खोल के बैठी, जग कल्याणी माँ मेरी ।
तन मन हर्षाया है,
मस्त हवा का एक झोंका यह संदेसा लाया है ॥
ऊँचे पर्वत पर मैया का है सुन्दर दरबार जहाँ ।
भक्त जानो की सब आशाएं होती हैं स्वीकार यहाँ ।
सब माँ की माया है,
मस्त हवा का एक झोंका यह संदेसा लाया है ॥
अपनी खुशिया अपने दुखड़े माँ से सांझे कर लूँगा ।
माँ के आशीर्वाद से अपनी खाली झोली भर लूँगा ।
यही मन में समाया है,
मस्त हवा का एक झोंका यह संदेसा लाया है ॥