ऊँचे पर्वत भवन सुहाना, अद्भुत तेरा द्वार,
धरती गगन में गूँज रही, तेरी जय जयकार,
जय माता दी, जय माता दी, जय माता दी करता चल,
हाथ में लेके लाल चुनरिया, ऊँचे पर्वत चढ़ता चल,
जय माता दी, जय माता दी, जय माता दी करता चल।
इसके है भंडार भरे, जो होते कभी न खाली,
हलवा पूड़ी चना में राजी, माता शेरा वाली,
और प्रेम से कह कर माता, जिसने भी आवाज़ लगाई,
ममतामयी माता है, जिसने सबकी लाज बचाई,
मन मेरा बोले बन के पंछी, माँ के दर पे उड़ता चल,
जय माता दी, जय माता दी, जय माता दी करता चल।
सुन करके फरियाद हमारी, देवी माता आएगी,
नैय्या है मझधार हमारी, आके पार लगाएगी,
और इसके दर पर वो ही आया, जो जग का ठुकराया है,
करुणामयी माता है, इसने सबको गले लगाया है,
आस दिलो में नाम लबों पे, लेके माँ का बढ़ता चल,
जय माता दी, जय माता दी, जय माता दी करता चल।