बड़ी दूर से मैं दौड़ी चली आई रे

बड़ी दूर से मैं दौड़ी चली आई रे,
मैया रानी को सजाने मैं तो आई रे,

माँ का गजरे से जुड़ा जो सजाउ रे,
माँ के हाथो में मैं कंगना पेहनाऊ रे,
माँ की आँखों में मैं कजरा लगाउ रे,
माँ की माथे पे बिंदियां सजाउ रे,
सारी दुनिया जो तुझमे समाई रे,
बड़ी प्यारी लागे मेरी महामाई रे,
बड़ी दूर से मैं दौड़ी चली आई रे,

माँ की चुनरी जो लाल लाल लाउ रे
नथ सोने की माँ तुझको पेहनाऊ रे,
माँ को वालियां जो कानो की पेहनाऊ रे,
माँ को फुले के मैं हार से सजाउ रे,
माँ के भवन में ज्योत जलाई रे
बड़ी प्यारी लागे मेरी महामाई रे,
बड़ी दूर से मैं दौड़ी चली आई रे,

माँ के हाथो में मेहँदी लगाउ रे,
माँ को लाल लाल चोला पेहनाऊ रे,
लाली होठो पे जो माँ के लगाउ रे
माँ के पैरो में मैं पायल पेहनाऊ रे,
माँ को सोहळा शृंगार मैं कराउ रे,
बड़ी प्यारी लागे मेरी महामाई रे,
बड़ी दूर से मैं दौड़ी चली आई रे,
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