धुन- दूल्हे का सेहरा
( फिज़ाओँ की, हवा कह रही है,
ख़ुशी की मुबारक, घड़ी आ गई है,
सजी लाल चुनरी में, शारदा मैया,
फलक से, जमी पे, चली आ रही है ll )
माँ,,,,,,,,,,,,,,,, माँ,,,,,,,,,,,,,,,, ll
मेरी माँ,,,,,,,,,,,, माँ,,,,,,,,,,,,,, ll
माँ,,,,,,,,,,,,, शारदा माँ,,,,,,,,,,,,,,
अपनी ममता की, शरण में ले लो माँ ll,
निर्बल को अपना, सहारा दे दो माँ ll
*दुःख के तूफ़ां ने, सताया है मुझको ll,
जीवन कश्ती, को सहारा दे दो माँ,
अपनी ममता की, शरण में ले लो मां ll,
निर्बल को अपना, सहारा दे दो माँ ll
रात दिन, दर पे खड़े, फ़रियाद करते है,
भूल जग को, बस तुम्हे, हम याद करते है ll
है पड़ा, मंझधार बेडा, पार कर दो माँ,
हूँ दुखों से, मैं घिरा, उद्धार कर दो माँ l
अपनी शक्ति का, नजारा दे दो माँ ll,
निर्बल को अपना, सहारा दे दो माँ,,,
अपनी ममता की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
तेरे, चेहरे की चमक, सूरज के जैसी है,
मेरे मन में, तूँ बसी, मूरत के जैसी है ll
रात दिन हम, याद करते, है छवि तेरी,
शीश पे, रख दे दया का, हाथ माँ मेरी,
अपना दर्शन हमको, प्यारा दे दो माँ ll,
निर्बल को अपना, सहारा दे दो माँ,,,
अपनी ममता की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
कोई बोले, शारदा, कोई कहे काली,
अपने, जाचक की हे माँ, झोली भरे ख़ाली ll
फैली है, मिन्नत की झोली, तुम उसे भरदो,
है घिरा, ‘आशीष’ दुःख में, दूर तुम करदो l
कष्टों से सबको, छुटकारा, दे दो माँ ll,
निर्बल को अपना, सहारा दे दो माँ,,,
अपनी ममता की,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,F
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल