( पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ,
पंडित भया ना कोई,
ढाई अक्षर प्रेम का,
पढ़े सो पंडित होय। )
जबसे है लिया,
प्रभु नाम तेरा,
तेरा नाम ही मेरी अब,
ज़ुबानी हो गई,
ओ श्याम सलोने तेरी,
मैं दीवानी हो गई,
ओ खाटू वाले तेरी,
मैं दीवानी हो गई।
कृष्ण कन्हैया रास रचैया,
माखन चोर कन्हैया,
जग के रखवाले तुम ही हो,
तुम ही जगत खिवैया,
झूठी नगरी, रिश्ते झूठे,
सारी दुनिया से मैं बेगानी हो गई,
ओ श्याम सलोने तेरी,
मैं दीवानी हो गई,
ओ खाटू वाले तेरी,
मैं दीवानी हो गई।
जोगन बन गई प्यार में तेरे,
पागल बोले दुनिया,
रोग प्रेम की लगी तुम्हारी,
तुम बिन दवा कोई ना,
पागल कहते दुनिया वाले,
तेरे प्यार में मेरी,
बदनामी हो गई,
ओ श्याम सलोने तेरी,
मैं दीवानी हो गई,
ओ खाटू वाले तेरी,
मैं दीवानी हो गई।
हाथ जोड़ कर तुम्हे मनाऊँ,
हर पल शीश झुकाऊँ,
आँखों के बहते आंसू,
चरणों में भेंट चढ़ाऊँ,
‘पिंटू’ है करे गुणगान तेरा,
‘नीता’ की यही अब कहानी हो गई,
ओ श्याम सलोने तेरी,
मैं दीवानी हो गई,
ओ खाटू वाले तेरी,
मैं दीवानी हो गई।
जबसे है लिया,
प्रभु नाम तेरा,
तेरा नाम ही मेरी अब,
ज़ुबानी हो गई,
ओ श्याम सलोने तेरी,
मैं दीवानी हो गई,
ओ खाटू वाले तेरी,
मैं दीवानी हो गई।