हर ग्यारस खाटू आने का प्रबंध कर दे

बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर,
दे बुलंद कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का,
प्रबंध कर दे,
मस्ती में अपनी मलंग कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का,
प्रबंध कर दे,
बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर,
दे बुलंद कर दे।।

यूँ तो तेरे खाटू नगर में,
हर रात ग्यारस की रात है
क्या फागण क्या सावन वहाँ पर,
कृपा बरसती दिन रात है,
मुझपे भी कृपा तू चंद कर दे,
चंद कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का,
प्रबंध कर दे,
बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर,
दे बुलंद कर दे।।

नाज़ है मुझको किस्मत पे मेरी,
मैंने तुम्हारा दर पा लिया,
सेवा पूजा कुछ भी ना जानू,
तूने तो फिर भी अपना लिया,
दर दर भटकना अब तो बंद कर दे,
बंद कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का प्रबंध कर दे,
बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर,
दे बुलंद कर दे।।

धन दौलत की परवाह नहीं है,
अपनी मुलाकात होती रहे,
जब तक सांसें चले मेरे घर में,
बाबा तुम्हारी ज्योति रहे,
‘अमरीश’ मांगे आनंद कर दे,
आनंद कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का प्रबंध कर दे,
बाबा मेरी किस्मत बुलंद कर,
दे बुलंद कर दे,
हर ग्यारस खाटू आने का प्रबंध कर दे.....
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