सोचा होगा मोहन ने शीश लेने को सौ बार,
तूने देने में बाबा सोचा न एक बार,
उस पेड़ का हर पता हम से कहता है,
वो दान आज भी आँखों में रहता है,
तुम जैसा न होगा इस दुनिया में दातार,
तूने देने में बाबा सोचा न एक बार,
था बाबा तब भी दानी अब भी तू दानी है,
हारे का साथी तू है भेदो की वाणी है,
बिन सोचे आज भी तू भरता तू भक्तो के भण्डार,
सोचा होगा मोहन ने शीश लेने को सौ बार
तुझे श्याम नाम का बाबा वरदान दे दिए,
कलयुग का देव कहलावे सम्मान दे दिया,
तेरे नाम के जैकारो से गूंजे गा ये संसार,
तूने देने में बाबा सोचा न एक बार
सोचा होगा मोहन ने शीश लेने को सौ बार
गन गान तेरा कर पाउ वो बात नहीं मुझमे,
ये तेरी ही किरपा है क्या बात है तुझमे,
तल जाते है कमल संकट आ कर के तेरे द्वार,
तूने देने में बाबा सोचा न एक बार..