नैया मंझधार मेरी टूटी पतवार मेरी,
बन के तू मांझी आजा श्याम मेरे॥
बन के सहारा मुझे पार उतार दे,
बिगड़ी ये ज़िंदगानी इसको संवार दे,
नैया चलाऊं कैसे पार लगाऊं कैसे,
बनके तू माँझी आजा श्याम मेरे॥
आता नहीं है मुझको तूफ़ान से खेलना,
वश में नहीं है मेरे हिचकोले झेलना,
आशा टूटेगी मेरी नैया डूबेगी मेरी,
बनके तू माँझी आजा श्याम मेरे॥
कर के दया मुझको भंवर से निकाल दे,
बनवारी नाव मेरी किनारे पे डाल दे,
होगा एहसान तेरा करदे कल्याण मेरा,
बनके तू माँझी आजा श्याम मेरे॥
नैया मंझधार मेरी टूटी पतवार मेरी,
बनके तू माँझी आजा श्याम मेरे.......