मुझे श्याम संवारे का दरबार मिल गया है,
मुझे तू जो मिल गया है संसार मिल गया है,
इतनी थी कहानी इतना सा मेरा किसा,
कोई जानता नही था मैं भीड़ का था हीसा,
तेरी किरपा से शान सत्कार मिल गया है,
मुझे श्याम संवारे का दरबार ........
ना साथी थे ना सखा ये झूठे थे रिश्ते नाते,
कोई ऐसा भी नही था जिसको अपना हम बता ते,
तेरे प्रेमी मिल गये है परिवार मिल गया है,
मुझे श्याम संवारे का दरबार ...
अब कुछ भी न कमी है चो तरफ रोशनी है,
दिल खुश है आज इतना की आँखों में नमी है,
नफरत में जी रहा था मुझे प्यार मिल गया है,
मुझे श्याम संवारे का दरबार ........