हो आयो फागुन को मेलो आयो रे
हिवड़ो यो म्हारो हरशायो रे ,
चाला जी चाला सागे खाटू नगरियाँ
बाबा की पूछा देवे अपनी खबरिया
बारहा महीना में मोको आयो रे
हिवड़ो यो म्हारो हरशायो रे ,
दुल्हन सी लागे माहने खाटू नगरी
बाबा बन दूल्हा बैठा पेहन के पागडिया
भगता ने बाराती बनायो रे
हिवड़ो यो म्हारो हरशायो रे ,
लेके निशान आई भगता री टोली,
अंकित को लाल लाया भर भर के झोली
सनेह से दर्शन पायो रे
हिवड़ो यो म्हारो हरशायो रे ,