धुन- जीया बेकरार है
श्री बालाजी सरकार है, मेहंदीपुर दरबार है,
मन की अख्खियाँ खोल के देखो, यह सच्चा दरबार है ll
सीताराम सहायक जिनके, 'और अंजनी माई है'।
आगे भैरव सेवा करते, 'कोतवाल ठकुराई है'।
लीला बड़ी अपार है, भूतों को पड़ती मार है,
मन की अख्खियाँ खोल के देखो, यह सच्चा दरबार है,,,
श्री बालाजी सरकार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रेतराज मंदिर के पीछे, 'जो जन अरज़ लगाते हैं'।
सुनते हैं वो सबकी विनती, 'फौरन हुक्म सुनाते हैं'।
जिन्नों ने मान ली हार है, भूत बड़े लाचार हैं,
मन की अख्खियाँ खोल के देखो, यह सच्चा दरबार है,,,
श्री बालाजी सरकार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भोले बाबा हैं भंडारी, 'उनसे अरज़ हमारी हैं'।
दो हमको सत्य ज्ञान मिटा दो, 'सबके दुःख त्रिपुरारि हैं'।
घाटा रहे गुलज़ार है, भक्तों का बेड़ा पार है,
मन की अख्खियाँ खोल के देखो, यह सच्चा दरबार है,,,
श्री बालाजी सरकार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सेवक महंत गणेश गुणीले, 'हनुमत प्रेम रंगीले रे'।
आओ सब मिल प्रेम मगन हों, 'चरणामृत रस पी ले रे'।
बदकार रहे मँझधार हैं, संकट उतरे पार हैं,
मन की अख्खियाँ खोल के देखो, यह सच्चा दरबार है,,,
श्री बालाजी सरकार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तीभोपाल