ना मालूम किसने बहकाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया.....
देख जब लखन लाल की बोल उठे रघुवीर,
उठो भया मुख से बोलो कहा लाग्यो तीर,
नीर नयनों भर आया,
पवन सुत अब तक नहीं आया....
तुम तो सोए सुख की निद्रा प्रेम का दीप जलाए,
मेघनाथ रावण का लड़का उससे लडा नही जाए,
सामने रिच दल आया,
पवन सुत अब तक नहीं आया...
हमको तो वनवास मिला था, माता के मति भंग,
तुमतो भया प्रेम के खातिर आए हमारे संग,
पिता ने बहुत समझाया,
पवन सुत अब तक नहीं आया.....
अवध पूरी में जाकर अपना, कैसे मुख दिखलाऊं,
लोग कहेंगे तिर्या खातिर भई को मार घवाया,
दास तुलसी ने जस गया,
पवन सुत अब तक नहीं आया.....