मेरी मईया के भवन में कैसी छा रही अजब बहार,
छा रही अजब बहार ओ कैसी छा रही अजब बहार,
मेरी मईया के भवन में कैसी छा रही अजब बहार।।
अपना चंडी रूप बनाओ, चण्ड मुंड मार गिराओ,
शुंभ निशुंभ विनाशक माँ तेरे गल मुंडल को हार,
मेरी मईया के भवन में कैसी छा रही अजब बहार।।
ब्रह्मा विष्णु महेश मनावे,
ये तीनो तेरे गुण गावे,
‘हरी ॐ’ को आज बुलाले,
मोहे दर्शन देयो इक बार,
मेरी मईया के भवन में कैसी छा रही अजब बहार।।