जब से मेरी हनुमान से पहचान हो गई

जीवन की सारी मुश्किल, आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई।।

हर एक से हमने पूछा, वन वन में जाकर ढूंढा,
सीता तुझे खोज ना पाए, धीरज भी था मेरा छूटा,
हनुमान मिले... होंठो पे मुस्कान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई......

लक्ष्मण को मूर्छा आई, मन ही मन राम घबराए,
संजीवन बूटी लाकर, भाई के प्राण बचाए,
जिंदगानी मेरी इसपे... कुर्बान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई......

हनुमान से मिलकर सीता, दिल में ये ख्याल है आया,
कोई लेख है पिछले जनम का, ऐसा सेवक जो पाया,
रूठी मेरी किस्मत भी... मेहरबान हो गई,
जीवन की सारी मुश्किल, आसान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई,
जब से मेरी हनुमान से, पहचान हो गई......
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