गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में

गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में,
गूंगा बोले रे, गूंगा बोले रे,
गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में।।

अरे मईया है वरदानी, करती मेहरबानी,
ओ लंगड़ा चल के आये देखो, गूंगा बोले जुबानी,
भर देती खुशियों से झोली, इसकी अजब कहानी,
इसके दर पे झुका गए सर देखो अकबर से अभिमानी,
अमृत घोले रे, मईया तेरे दरबार में,
गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में।।

वो चाहे तो बना दे राजा, वो चाहे तो भिखारी,
उनकी महिमा गाती है ये देखो दुनिया सारीं,
दर्शन देती है महामाया, करके शेर सवारी,
ऊँचे पर्वत बैठी माता भक्तों को है प्यारी,
मनवा ढोले रे, मईया तेरे दरबार में,
गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में।।

भक्तों जिन पर माता जी की एक नज़र पड़ जाए,
वो दीवाना माँ अम्बे की नज़रों में चढ़ जाए,
दर्शन पाके दुनिया भूले, मईया के गुण गाये,
अरे खाली झोली लेके आये, झोली भर ले जाए,
दीवाना बोले रे, मईया तेरे दरबार में,
गूंगा बोले रे मईया तेरे दरबार में।।
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