अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं

अब किसी महफ़िल में जाने की हमें फुर्सत नहीं,
दुनिया वालों को मनाने की हमें फुर्सत नहीं॥

एक दिल है जिसमें मेरा बस गया है सांवरा,
अब कहीं दिल को लगाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में.....

एक जो आंखें हमारी मिल गई है श्याम से,
अब कहीं आंखें मिलाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में.....

एक् सर है झुक गया जो आप के दरबार में,
अब कहीं सर को झुकाने की हमें फुर्सत नहीं,
अब किसी महफ़िल में....

दर बदर की ठोकरें खाने से है क्या फायदा,
सांवरे के दर के जैसा और कोई दर नहीं,
अब किसी महफ़िल में....

श्रेणी
download bhajan lyrics (653 downloads)