सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
चलो सत्संगे में चलें, हमे हरी गुण गाना है ॥
कहाँ कहाँ ढूँढा तुझे, कहाँ कहाँ पाया है ।
भक्तो के हृदय में मेरे श्याम का ठीकाना है ॥
राधा ने पाया तुझे मीरा ने पाया तुझे ।
मैंने तुझे पा ही लिया, मेरे दिल में ठिकाना है ॥
सत्संगे में आ जाओ, संतो संग बैठ जाओ ।
संतो के हृदय में, मेरे श्याम का ठिकाना है ॥
मीरा पुककर रही, आवो मेरे बनवारी ।
विष भरे प्याले को, तुने अमृत बनाना है ॥
शबरी पुककर रही, आओ मेरे रघुराई ।
खट्टे मीठे बेरों का तोहे भोग लगाना है ॥
द्रोपती पुकार रही, आवो मेरे कृष्णाई ।
चीर को बढाना है, तुम्हे लाज को बचाना है ॥
मथुरा में डूंडा तुझे, गोगुल के पाया है ।
वृन्दावन की गालिओ में मेरे श्याम का ठिकाना है ॥