बाबा छोड़ दे कंजूसी तू तो दानी है कहलाए
थोड़ा थोड़ा करके सबको देदे खाली कोई ना जाए
बाबा छोड़ दे कंजूसी...............
बैठा है चुप सारा माल दबा के
किसके लिए इसे रखा है बचा के
खोल दे खज़ाना कुछ ना बचाना
कहीं दीमक लग ना जाये
बाबा छोड़ दे कंजूसी...............
पहले तो तुमने खूब लुटाया
अब क्या हुआ ये समझ ना आया
द्वार से जो खाली लौटा सवाली
किसके द्वारे जाए
बाबा छोड़ दे कंजूसी...............
तुमसे किसी को जब न मिलेगा
दातार तुमको कौन कहेगा
अब तो संभल जा बाबा तू बदल जा
नाम तेरा रह जाए
बाबा छोड़ दे कंजूसी...............
कृष्णा मंडल को है ये हैरानी
कंजूस कैसे हो गया दानी
क्या कहें जग से अब कुछ कह दे
हरिराम घबराये
बाबा छोड़ दे कंजूसी...............