जीवन के दुखों को श्याम दे दो थोड़ा विराम,
दर अपने बुला के मुझे दे दो थोड़ा आराम।
अपनों के लहज़ों से दिल मेरा दुखता है,
अब नैनो से आंसू मेरे ना थमता है,
तू आकर इनको हँसा अब देर ना कर घनश्याम
दर अपने बुला के मुझे दे दो थोड़ा आराम।
अब जी ना पाऊं मैं मेरा जी घबराता है,
तेरी राह ताके नैना कब गले तू लगाता है,
इन फ़ासलो को मिटा सर हाथ फिरा दो श्याम,
दर अपने बुला के मुझे दे दो थोड़ा आराम।
मेरे हाथ की रेखा ये कृष्णा तुमने ही लिखी,
बाबा अब तो बना दो ना बिगड़ी तक़दीर मेरी,
तेरी माया को कोई क्यों समझ ना पाया श्याम,
दर अपने बुला के मुझे दे दो थोड़ा आराम।
जीवन के दुखों को श्याम दे दो थोड़ा विराम,
दर अपने बुला के मुझे दे दो थोड़ा आराम।