अब तो बुला लीजिये सरकार संवारे,
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
हारे के तुम हो संवारे दरिया सा दिल तेरा,
नैया फसी मजधार में पतवार तू मेरा,
फिर ये प्रेम आप से कितना हो न हो
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
जिन से था रिश्ता करीब का वो दूर हो गये,
तुम से था रिश्ता दूर का तुम पास हो गए,
हारा था हर इक मोड़ पर विस्वाश हो न हो
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,
चरणों से दूर संवारे मुझे अब न कीजिये
चरणों में अर्जी मेरी ये सवीकार कीजिये
चेहल की हर इक सांस पर अब नाम तेरा हो
शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो न हो,