दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ।
सुख में प्रभुवर तेरी याद ना आयी,
दुःख में प्रभुवर तुमसे प्रीत लगाई ।
सारा दोष हैं मेरा, मैं करता हूं स्वीकार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ॥
मेरा तो क्या हैं, मैं तो पहले से हारा,
तुमसे ही पूछेगा ये संसार सारा ।
डूब क्यों नैय्या, तेरे रहते खेवनहार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ॥
सबकुछ लुटा, बस लाज बची हैं,
तुमपे ही बाबा मेरी आस बंधी हैं ।
सुना हैं तुम सुनते हो, हम जैसो की पुकार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ॥
जिसको बताया मैंने अपना फ़साना,
सबने बताया मुझको, तेरा ठिकाना ।
मेरी इस नैय्या के तुम ही हो खेवनहार,
मैंने तुमको माना हैं माता पिता परिवार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहां से गर जो हारा, कहां जाऊंगा सरकार ॥