कान्हा तेरे चरंणो की गति न्यारी

कान्हा तेरे चरंणो की गति न्यारी
में कैसे रटु मुरारी ॥

धौले -2 पंख दिये बुगला को ॥
कान्हा तैने कोयल करदि कारी।

छोटी-2 आंख दई हथनी को-॥
कान्हा तैने गर्दन कर दई भारी।

लम्बे -2 सिंग दिये हिरणी को-॥
श्याम यो पीछे पडा शिकारी ।

चातर नार पुत बिन तरसे-॥
श्याम या पुहड जन-2 हारी
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