जन्म लियो मेरे रघुराई, अवधपुरी में बहार आई.......
कलियों ने घूंघट खोले,
भमरा भी हस हस बोले,
बरसा ने रिमझिम पाई, अवधपुरी में बहार आई......
बालक रूप निराला है,
मन को भाने वाला है,
राम लखन दोनों भाई, अवधपुरी में बहार आई......
मात कौशल्या बड़भागी,
दशरथ की किस्मत जागी,
धनुष तोड़ सीता ब्याही, अवधपुरी में बहार आई.....
दासी अर्ज लगाती है,
चरण कमल में पडती है,
चरणों में राखो रघुराई, अवधपुरी में बहार आई......