सीता पंचवटी पर रोवे लक्ष्मण राम राम राम,
लक्ष्मण राम राम राम लक्ष्मण राम राम राम,
सीता पंचवटी पर रोवे.....
तूने कैसी रची विधाता,
मेरे कुछ भी समझ नहीं आता,
रावण दुष्ट अरे ले जाता अपने धाम धाम धाम,
सीता पंचवटी पर रोवे.....
हे बन के पंछी सुन लेना,
मेरी शुद्ध रामा को देना,
हाथों के कंगना पर्वत से नीचे डार डार डार,
सीता पंचवटी पर रोवे.....
जो प्रभु आप अगर नहीं आए,
तो जीवित सीता को ना पाए,
फिर सिर धुन धुन के पछताओ लेकर नाम नाम नाम,
सीता पंचवटी पर रोवे......
अब प्रभु आप खबर ले ओ मेरी,
कपिला गाय सिंह ने घेरी,
सीता है चरणों की दासी तुमरे पांव पांव पांव,
सीता पंचवटी पर रोवे लक्ष्मण राम राम राम.....