हमें दरबार बुलालो माँ,
हम बच्चे तुम माँ हो हमारी,
सब को सदेशा भिजवाती,
याद हमारी कभी ना आती,
अपने ममता के आंचल में,
हमे सुला लो माँ,
हमें दरबार बुलालो माँ....
हम भी आए भवन तुम्हारे,
स्वर्ग से देखे यहाँ नजारे,
दया दृष्टि हम पर भी दाती,
अपनी डालो माँ,
हमें दरबार बुलालो माँ....
बच्चो को ना यू तड़पाओ,
भेजो सदेशा हमे बुलाओ,
थोड़ा समय हमारे लिए भी,
अपना निकालो माँ,
हमें दरबार बुलालो माँ.....
दर्शन कर हम तर जाएगे,
झोलिया अपनी भर लाएगे,
बरसा दो कृपा का सावन,
पार लगा दो माँ,
हमें दरबार बुलालो माँ....