कितना सोहणा दरबार है सजाया,
जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया....
फूल गुलाब की कलिया सजा के,
केसर चन्दन तिलक लगा के,
बड़े प्यार से इतर लगाया,
जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया.....
सोहनी सूरत मोहनी मूरत,
दिल में समा गई सावली सूरत,
तेरे भजनों में बड़ा सुख पाया,
जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया.....
खाटू वाले श्याम धणी जी,
‘व्यास हरि’ की अरज सुनो जी,
तेरे चरणों में अब हो ठिकाना,
जी करे देखता रहा,
कितना सोहणा दरबार हैं सजाया.....