आजा .......
ओ लीले तू आजा मेरे बाबा को लेके आजा,
मैंने राहों में पलकें बिछाई,
मैंने कुटिया अपनी सजाई,
तू अपना फ़र्ज़ निभा जा,
मेरे बाबा को लेके आजा हो आजा,
ओ लीले तू आजा........
तुझपे बैठ के मेरे बाबा लेली के असवार हुए,
पत्थर भी पारस बन जाता गर जो मेरा श्याम छुए,
ओ रंग के नीले नीले, इस दास की विनती सुनले,
मेरे श्याम को मुझसे मिला जा, मिला जा,
ओ लीले तू आजा.........
तेरी महिमा सबसे निराली गगन भी शीश झुकाता है,
श्याम का सेवक सबसे प्यारा प्रेमी के घर जाता है,
मेरे श्याम को तू ही भाये, हाज़िरी में तू बिछ जाए,
तू अपना बेग दिखाजा, दिखाजा,
ओ लीले तू आजा.......
रागी दरश को राह निहारे श्याम को घर पे लाना है,
जीतू श्याम के चरण पड़ा है प्रेम की धार बहाना है,
चरणों का दास तू प्यारे, मेरे श्याम का ख़ास तू प्यारे,
अब दरश की प्यास बुझा जा, बुझा जा,
ओ लीले तू आजा.........