तर्ज - कोई परदेसी मेरा दिल ले गया
भक्ति की देखो एक ज्योत जली,
नाकोंडा में भक्तो की टोली चली,
भक्ति की देखो एक....
गाँव गाँव ओर शहर शहर से,
भक्त आज निकले - अपने घर से,
गली मोहल्लो से झूमती चली,
नाकोंडा में भक्तो की टोली चली,
भक्ति की देखो एक....
भक्तो की टोली चलती ही जाती,
करते हुए दादा - भैरव की भक्ति,
भक्ति की शक्ति जो इनको मिली,
नाकोंडा में भक्तो की टोली चली,
भक्ति की देखो एक....
मेवानगर पहुँचे भक्त चलकर,
मस्ती में झूमे उठे - दादा को देखकर,
दादा के चरणों मे शांति मिली,
नाकोंडा में भक्तो की टोली चली,
भक्ति की देखो एक....
टुकलिया परिवार आया नाकोंडा दरबार में,
भैरव देव जैसा दानी - देखा न संसार मे,
जाग्रति कहे " दिलबर " किस्मत खुली,
नाकोंडा में भक्तो की टोली चली,
भक्ति की देखो एक....