हम तेरे प्यार में लूट गये सँवारे,
हम तेरे प्यार में मिट गये सँवारे,
पूछता है कहां हम तो तरसे याहा,
बरसे कब से ये नैना मेरे सँवारे,
हम तेरे प्यार में लूट गये सँवारे,
कब ये मैंने कहां हे कन्हैया मेरे अपने हाथो की मुरली बना लो मुझे,
कब कहा मैंने ये मोर के पंख के जैसे अपने मुकट में सजा लो मुझे,
इक घुंगरू बना अपनी पैजनिया का,
चुमू जो हर घडी मैं तेरे पाँव रे,
हम तेरे प्यार में लूट गये सँवारे,
यमुना तट पे कभी बंसी वट पे कभी
तुझको ढूंढा मगर तू कही न मिला,
पूछा हर इक लता और पता से पता ,
पर पता तेरा प्यारे कही न मिला,
तुझको क्या है पता दिल पे बीती है क्या,
आ दिखाऊ तुझे दिल के ये गावह रे,
हम तेरे प्यार में लूट गये सँवारे,
हम ने सोचा था ये इक सहारे तेरे चार दिन जिंदगी के गुजर जायेगे,
प्रीत की रीत तुम तो निभाते सदा,
इक न इक दिन मेरे भाग खुल जायेगे,
इस भरोसे तेरे प्राण प्यारे मेरे,
हम ने दिल का लगाया था ये दाव रे
माना राधा के जैसी न हस्ती मेरी,
मीरा भाई सी न प्रीत सच्ची मेरी,
ना तो नरसी के जैसी है मस्ती मेरी,
ना सुदामा के जैसी है भगति मेरी,
आधा घ्याल हु मैं आधा पागल हु मैं,
दास की सास हर इक तेरी नाम रे,
हम तेरे प्यार में लूट गये सँवारे,