कमाले चाहे नर हीरे मोती, कफन में जेब नहीं होती,
कफन में जेब नहीं होती, कफन में जेब नहीं होती,
कमाले चाहे नर हीरे मोती, कफन में जेब नहीं होती.....
चाहे तू खाले पूड़ी कचौड़ी,
चाहे तू खाले सूखी रोटी,
भूख सब एक जैसी होती, कफन में जेब नहीं होती.....
चाहे ओढ़ ले साल दुशाला,
चाहे ओढ़ ली फटो चादरा,
नींद सब एक जैसी होती, कफन में जेब नहीं होती.....
चाहे तू बन जा भाट भिखारी,
चाहे तू बन अंबानी अडानी,
इज्जत एक जैसी होती, कफन में जेब नहीं होती....
चाहे बैठ जा घोड़ा गाड़ी,
चाहे बनाले महल अटारी,
अंत डोली सबकी एक जैसी, कफन में जेब नहीं होती.....