दुनिया के ज़ुल्मो सितम से जो हार जाता है,
उसको दुनिया में मेरा श्याम ही अपनाता है।
रिश्ते नाते जहाँ के सारे निभाए हमने,
ना सुकून पाया दिए ज़ख्म नए से ग़म ने,
कश्ती जीवन की मेरे बाबा लगी है थमने,
अब तो खाटू का ही एक रस्ता याद आता है,
उसको दुनिया में मेरा श्याम ही अपनाता है,
दुनियां के ज़ुल्मो सितम से जो हार जाता है।
एक यही तो ठिकाना है ग़म के मारों का,
है मेरा श्याम ही बस साथी बेसहारों का,
है यही माली हर चमन का हर नज़रों का,
देख कर राह के कांटे जो घबराता है,
उसको दुनिया में मेरा श्याम ही अपनाता है,
दुनियां के ज़ुल्मो सितम से जो हार जाता है।
श्याम के नाम का तो धीरज भी दीवाना है,
है लिया बाँध अगर रिश्ता अब निभाना है,
मिले थे धोखे हमें जिनसे उन्हें दिखाना है,
हो वो छोटा या बड़ा सबको गले लगाता है,
उसको दुनिया में मेरा श्याम ही अपनाता है,
दुनियां के ज़ुल्मो सितम से जो हार जाता है......