जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर

जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर ।
रखना जतन से प्यारे  इनको  संवारकर।।
जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर ।
रखना जतन से प्यारे इनको संवारकर।।

आंखों में हरी छवि कानों से ज्ञान सुन।
सुबह सबेरे गाओ सिर्फ एक रामधुन।।
हर काम करना प्यारे प्रभु को पुकार कर।।
रखना जतन से इनको संवारकर।।
जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर ।
रखना जतन से इनको संवारकर।।

माथा श्री चरणों  में हाथों से दान कर।
महल अटारी रूप रंग का न मान कर
जीव्हा से राम नाम हर पल उचार कर।।
रखना जतन से प्यारे इनको संवारकर।।
जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर ।
रखना जतन से इनको संवारकर।।

बचपन जवानी बीती अब तो भजन कर।
सत्संग गीता पाठ कोई जतन कर।।
हिरदय में राजेंद्र राम नाम धार कर।।
रखना जतन से प्यारे इनको संवारकर।।
जीवन की सांसें कब रुक जाए हार कर ।
रखना जतन से इनको संवारकर।।
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