ऊँचे ऊँचे मन्दिर तेरे,
ऊँचा है तेरा धाम,
हे कैलाश के वासी, भोलेबाबा,
हम सब करते है तुम्हें प्रणाम…………
नगर में जोगी आया,
यशोदा के घर आया,
जिसे कोई समझ ना पाया,
सब से बड़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ, भोलेनाथ, भोलेनाथ…………
अंग विभूति गले रुण्ड माला,
शेषनाग लिपटाओं,
बाँको तिलक भाल चंद्र,
और नन्द घर अलख जगायो,
नगर में जोगी आया,
यशोदा के घर आया,
जिसे कोई समझ ना पाया,
सब से बड़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ, भोलेनाथ, भोलेनाथ……..
ले भिक्षा निकली नंदरानी,
कंचन थाल भरायो,
लो भिक्षा जोगी जाओ जंगल में,
मेरो लाल डरायों,
नगर में जोगी आया,
यशोदा के घर आया,
जिसे कोई समझ ना पाया,
सब से बड़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ, भोलेनाथ, भोलेनाथ………..
पञ्चपेड़ परिक्रमा करके,
शिंगी नाद बजायो,
सूरदास बलिहारी कन्हैया,
जुग जुग तेरो जायो,
ना चाहिए तेरी दौलत दुनियाँ,
ना ही कंचन माया,
अपने लाल का दरश करा दे,
मै दर्शन को आया,
नगर में जोगी आया,
यशोदा के घर आया,
जिसे कोई समझ ना पाया,
सब से बड़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ, भोलेनाथ, भोलेनाथ…………
तिन लोक के कर्ताधर्ता
तेरी गोद में आया
सूरदास बलिहारी कन्हैया
यशोमती दिखलाया
नगर में जोगी आया,
यशोदा के घर आया,
जिसे कोई समझ ना पाया,
सब से बड़ा है तेरा नाम,
भोलेनाथ, भोलेनाथ, भोलेनाथ……….