अरे जाढे ने जुलम सताई,
भरवा देऔ श्याम रजाई॥
राम नाम की मलमल ला दो,
कृष्ण नाम का छापा छपवा दो,
अरे इसमें राधेश्याम लिखवाई भरवा दो श्याम रजाई,
अरे जाढे ने जुलम सताई.....
राम नाम की रोज भरवा दो,
कृष्ण नाम की सुई डलवा दो,
अरे या में भक्ति की डोर डराई भरवा दो श्याम रजाई,
अरे जाढे ने जुलम सताई.....
ध्रुव प्रहलाद विभीषण ने ओढ़ी,
ध्यानु भगत नरसी ने ओढ़ी,
अरे मीरा ने ओढ दिखाई भरवा दो श्याम रजाई,
अरे जाढे ने जुलम सताई.....
दास कबीरा ने ऐसी ओढ़ी,
भक्त सुदामा ने ऐसी ओढ़ी,
अरे या में ज्ञान की जोत जलाई भरवा दो श्याम रजाई,
अरे जाढे ने जुलम सताई.....