पल भर ये खाव्ब बन के मेरे श्याम आ भी जाओ,
तेरी याद है सताई इतना भी न रुलाओ,
वनवारी है अब तो अखियां मेरे श्याम आ भी जाओ,
ब्रिज सुना सुना लागे गोकुल की सुनी गलियां,
पुष्प चमन और लताये घूमे लेहवान की गल्यां,
व्याकुल ये धड़कने है सांसो में तुम समाये,
वनवारी है अब तो अखियां मेरे श्याम आ भी जाओ,
बरसे है आग सा क्यों सारे ब्रिज में कान्हा,
तुम्हे ढूंढ़ती है नजरे पर कही पता चले न,
दिल की तड़पे को समजो यु न हमे सताओ,
वनवारी है अब तो अखियां मेरे श्याम आ भी जाओ,
तेरे बिरहा में मोहन न सजना न सवर न,
जब से गए हो मोहन बस अश्को का है बहना,
जोगन को अपनी ऐसे न भुला जाओ,
वनवारी है अब तो अखियां मेरे श्याम आ भी जाओ,