ये हमने सुना है तू भगवन,
भक्तो को उधारा करता।।
मजधार में अटके लोगों को,
उस पार उतारा करता।।
कई जन्मों से में भटक रहा,
इस जन्म मरण के बन्धन में,
जब बारी मेरी आई तो,
क्यूँ मुझसे कनारा करता है।।
भटकों को राह बताता है,
अटको को पार लगाता है,
तूँ वांह पकड़ता है जो इस,
जीवन से हारा करता ।।
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी